किसान आंदोलनः किसान और सरकार की एक और मीटिंग बेनतीजा, सरकार का किसानों को जवाब- इससे बेहतर नहीं कर सकते

बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने किसानों से कहा कि वो सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें. हम फिर मिलेंगे, लेकिन अगली कोई तारीख तय नहीं की गई है।

किसान आंदोलनः किसान और सरकार की एक और मीटिंग बेनतीजा, सरकार का किसानों को जवाब- इससे बेहतर नहीं कर सकते

किसान संगठन और सरकार की एक और मीटिंग बेनतीजा रही. आज साढ़े चार घंटे तक बैठक चली लेकिन दोनों पक्ष 15-20 मिनट के लिए ही आमने सामने हुए. बैठक में कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह ने किसानों से कहा कि वो सरकार के प्रस्ताव पर विचार करें. हम फिर मिलेंगे, लेकिन अगली कोई तारीख तय नहीं की गई है। लेकिन अब तक कोई फैसला नहीं निकल पाया है. कृषि मंत्री ने किसान संगठनों को शांतिपूर्ण और लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन करने के लिए धन्यवाद किया.

केंद्र सरकार के साथ 11वें दौर की बैठक खत्म होने के बाद राष्ट्रीय किसान मजदूर महासंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष शिव कुमार कक्का ने कहा, 'लंच ब्रेक से पहले, किसान नेताओं ने कानूनों को रद्द करने की अपनी मांग दोहराई और सरकार ने कहा कि वे संशोधन के लिए तैयार हैं. मंत्री ने हमें सरकार के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए कहा और उसके बाद मंत्री बैठक से चले गए.'

आज विज्ञान भवन के बाहर किसान यूनियनों के कुछ सदस्यों का जन्मदिन मनाया. इस दौरान किसानों ने केक भी काटा.


20 जनवरी को हुई दसवीं बैठक में सरकार की ओर से कृषि कानूनों को स्थगित करने का प्रस्ताव किसान नेताओं के सामने रखा गया था लेकिन इस प्रस्ताव को किसानों ने ठुकरा दिया। संयुक्त किसान मोर्चा ने साफ किया है कि उन्हें कृषि कानूनों को रद्द करने और एमएसपी की कानूनी गारंटी देने से कम कुछ भी मंजूर नहीं है। ऐसे में इस बातचीत से बहुत ज्यादा उम्मीद नहीं लगाई जा सकती। लेकिन फिर भी सरकार कोशिश करेगी कि वह किसानों को मना ले। अब तक सरकार की ओर से किसानों को मनाने के लिए की गई कवायद बेकार होती दिख रही है।


पिछली बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था कि इस अवधि के दौरान किसान नेता और सरकार मिलकर इस मसले का हल निकालेंगे। कुल मिलाकर सरकार की ओर के किसानों को मनाने के लिए की गई कवायद बेकार होती दिख रही है। मतलब साफ है कि नरेंद्र मोदी का नया दांव काम नहीं आया। किसान यूनियनों ने ताजा प्रस्ताव भी खारिज कर दिया है। सरकार को लगा था कि नए कृषि कानूनों को, डेढ़ साल या उतने वक्त तक, जब तक प्रस्तावित संयुक्त समिति अपनी रिपोर्ट न दे दे, होल्ड पर रखने के प्रस्ताव पर किसान मान जाएंगे।