संवैधानिक नहीं, सियासी भंवर में उलझी उत्तराखंड के सीएम की कुर्सी
भले ही ऊपरी तौर पर इसकी वजह तीरथ के उपचुनाव नहीं लड़ने का पेंच बताया जा रहा हो मगर राजनीतिक विशेषज्ञ इस्तीफा दिलाने की एक वजह सरकार के खिलाफ बन रहे नैरेटिव को मान रहे हैं
उत्तराखंड एक बार फिर सियासी भंवर में उलझ गया है। मार्च में मुख्यमंत्री की कुर्सी संभाले तीरथ सिंह रावत मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया। इसी के साथ राज्य में नए मुख्यमंत्री की राह तैयार हो गई। भले ही ऊपरी तौर पर इसकी वजह तीरथ के उपचुनाव नहीं लड़ने का पेंच बताया जा रहा हो मगर राजनीतिक विशेषज्ञ इस्तीफा दिलाने की एक वजह सरकार के खिलाफ बन रहे नैरेटिव को मान रहे हैं।
इस नैरेटिव को बनाने में उत्तराखंड हाईकोर्ट की टिप्पणियां भी आधार बनी। हाईकोर्ट ने चारधाम यात्रा शुरू करने को लेकर जल्दबाजी, कोविड काल में महाकुंभ की भीड़, रोडवेज कर्मचारियों के मामले में ढिलाई आदि को लेकर गंभीर टिप्पणियां की, जिससे सरकार असहज हुई। जबकि संविधान के जानकारों का साफ कहना है कि चुनाव आयोग या सरकार के सामने कोई संवैधानिक संकट है ही नहीं। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत की विदाई हो गई। सौ दिन से अधिक के कार्यकाल में मुख्यमंत्री जिलों में अफसरों के तबादले तक नहीं कर सके। इसके अलावा त्रिवेंद्र सरकार के कार्यकाल में हटाये गए सौ से अधिक दायित्यधारियों के अलावा महत्वाकांक्षी नेताओं ने संगठन के माध्यम से हाईकमान तक संदेश पहुंचाया कि मौजूदा नेतृत्व के बलबूते 2022 के चुनाव की रेस नहीं जीती जा सकती।
Ruchi Sharma